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धन्य वाद
" है वही सुरमा इस जग मे -जो अपनी राह बनाता है
कोई चलता है पद चिन्ह पर कही पद चिन्ह बनता है "
"कूदि को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है "

सम्राट अशोक से जुड़े रहस्यमयी तथ्य – Samrat Ashoka Mystery in Hindi :
अशोक महान (304 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व) : अशोक महान पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय)। पिता का नाम बिंदुसार। दादा का नाम चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य (शासनकाल : 322 से 298 ईपू तक)। माता का नाम सुभद्रांगी था जिन्हें रानी धर्मा भी कहते थे।
पत्नियों का नाम देवी (वेदिस-महादेवी शाक्यकुमारी), कारुवाकी (द्वितीय देवी तीवलमाता), असंधिमित्रा (अग्रमहिषी), पद्मावती और तिष्यरक्षित। पुत्रों का नाम- देवी से पुत्र महेन्द्र, पुत्री संघमित्रा और पुत्री चारुमती, कारुवाकी से पुत्र तीवर, पद्मावती से पुत्र कुणाल (धर्मविवर्धन) और भी कई पुत्रों का उल्लेख है। धर्म- हिन्दू और बौद्ध। राजधानी पाटलीपुत्र।
सम्राट अशोक को ‘देवानांप्रिय’ अशोक मौर्य सम्राट कहा जाता था। देवानांप्रिय का अर्थ देवताओं का प्रिय। ऐसी उपाधि भारत के किसी अन्य सम्राट के नाम के आगे नहीं लगाई गई। हालांकि देवानांप्रिय शब्द (देव-प्रिय नहीं) पाणिनी के एक सूत्र के अनुसार अनादर का सूचक है, क्योंकि अशोक से बड़ा हिंसक भारत की भूमि पर इससे पहले कोई नहीं हुआ।
सम्राट अशोक का नाम संसार के महानतम व्यक्तियों में गिना जाता है। ईरान से लेकर बर्मा तक अशोक का साम्राज्य था। अंत में कलिंग युद्ध ने अशोक को धर्म की ओर मोड़ दिया। अशोक ने जहां-जहां भी अपना साम्राज्य स्थापित किया, वहां-वहां अशोक स्तंभ बनवाए। उनके हजारों स्तंभों को मध्यकाल के मुस्लिमों ने ध्वस्त कर दिया।
अशोक के समय मौर्य राज्य उत्तर में हिन्दूकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर, कर्नाटक तक तथा पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफगानिस्तान तक पहुंच गया था। यह उस समय तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य था।
अशोक महान ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफगानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। बिंदुसार की 16 पटरानियों और 101 पुत्रों का उल्लेख है। उनमें से सुसीम अशोक का सबसे बड़ा भाई था। तिष्य अशोक का सहोदर भाई और सबसे छोटा था। श्यामक अशोक का भाई नहीं था। कहते हैं कि भाइयों के साथ गृहयुद्ध के बाद अशोक को राजगद्दी मिली।
आओ अब हम जानते हैं महान सम्राट अशोक के जीवन से जुड़े उनके 9 रहस्यमय रत्नों के बारे में..

दुनियां के सबसे प्रसिद्ध जहाज टाइटैनिक के रोचक तथ्य | Interesting Facts about Titanic in Hindi : टाइटेनिक, दुनिया के इतिहास का सबसे प्रसिद्ध और बदकिस्मत जहाज रहा है. टाइटेनिक अपने समय का सबसे महंगा और बड़ा जहाज था जो इंग्लैंड से न्यूयॉर्क के सफर पर पहली बार निकला था. टाइटैनिक के बारे में कहा जाता है कि यह काफी मजबूत था और जिन लोगों ने इसे बनाया था उनका दावा था कि यह जहाज कभी नहीं डूब सकता तथा इसमें बहुत सारे सुरक्षा के उपाय भी किए गए थे. लेकिन यह जहाज की बदकिस्मती थी कि अपनी पहली ही यात्रा में एक बड़े हिमखंड से टकरा कर डूब गया.
वैसे तो टाइटैनिक के ऊपर एक प्रसिद्ध हॉलीवुड की फिल्म बन चुकी है जिसने पूरी दुनिया में और अरबो रुपयों का व्यापार किया. लेकिन आज हम आपको इससे जुड़े ऐसे चौकाने वाले फैक्ट्स बताने जा रहे हैं जो शायद पहले आपने नहीं सुने होंगे, आइए जानते हैं इन फैक्ट्स के बारे में :1. टाइटैनिक जहाज की लंबाई करीब 292 मीटर थी जो उस समय का सबसे बड़ा पानी का जहाज था.
#2. टाइटैनिक जहाज में 1 दिन में करीब 825 टन कोयले का इस्तेमाल होता था तथा यह 1000 राख प्रतिदिन निकालता था.
#3. उस समय टाइटैनिक को बनाने में करीब 75,00,000 डॉलर का खर्चा आया था, जो उस समय के हिसाब से एक बहुत बड़ी रकम थी.
#4. Titanic में हर रोज करीब 14,000 गैलन पीने का पानी इस्तेमाल किया जाता था.
#5. टाइटेनिक में रोज यात्रियों के खाने में करीब 40,000 अंडे खर्च होते थे.
#6. टाइटेनिक जहाज में 20,000 बीयर और 1,500 वाइन की बोतल ऑन बोर्ड थी.
#7. Titanic में यात्रियों के लिए करीब 1500 गैलेन दूध प्रतिदिन लगता था.
#8. टाइटेनिक के यात्री सिगार का भी खूब इस्तेमाल किया करते थे. टाइटेनिक जहाज में अनुमानत 8000 सिगार प्रतिदिन इस्तेमाल होते थे.
#9. पहली बार आइसबर्ग नजर आने से केवल 30 सेकेंड पहले ही यदि यह दिख गया होता तो टाइटैनिक की दिशा बदली जा सकती थी और तब शायद यह इतिहास की सबसे भीषण समुद्री दुर्घटना नहीं होती.
#10. टाइटेनिक जहाज में भाप निकालने के लिए चार चिमनी लगी हुई थी लेकिन इनमें से केवल तीन ही काम करती थी तथा एक चिमनी केवल जहाज को अच्छी तरह से सजाने के लिए लगायी गयी थी.
#11. टाइटैनिक के दुर्घटनाग्रस्त होने से एक दिन पहले लाइफबोट ड्रिल प्रैक्टिस की जानी थी। लेकिन उसे अंतिम क्षणों में कैंसिल कर दिया गया। अगर यह ड्रिल हो जाती, तो दुर्घटना के समय लाइफबोट्स का मैनेजमेंट ज्यादा अच्छी तरह किया जा सकता था।
#12. टाइटैनिक फिल्म के सबसे इमोशनल सीन्स में वह दृश्य भी शामिल है, जब आइसबर्ग से जहाज टकराने के बाद भी म्यूजिक बैंड के सदस्य परफॉर्म करते रहते हैं। असली जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सचमुच ऐसा ही हुआ था।

भारत के 10 सबसे बड़े अनसुलझे रहस्य | Bhaat ke Ansuljhe Rehasya : भारत एक ऐसा विशाल और प्राचीन देश जो अपने आप में ना जाने कितनी घटनाओ को समते हुए है और जब यह देश इनता प्राचीन है तो इसकी कुछ कहानियाँ ऐसी भी है जो आज तक पहेल बनी हुई है और कुछ घटनाएं ऐसी भी है जिनका विज्ञानं के पास कोई जवाब नहीं | ज्ञानपंती टीम ने ऐसी ही कुछ रहस्यमयी घटनाओं और परिस्थितियों के बारे में कुछ जानकारी जुटाई है जिसका जवाब विज्ञान के पास आज तक नहीं है | आइये जानते है ऐसी ही कुछ रहस्यों के बारे में |

यह आधुनिक इतिहासकारों के बीच का सबसे ज्यादा चर्चा की विषय है और सबसे बड़े एतिहासिक रहस्यों में से भी एक बन चूका है की क्या वास्तव में ताजमहल ही तेजोमहालय है ? अगर दिल्ली के प्रोफेसर और इतिहासकार पी.एन. ओक की लिखी पुस्तक पर यकीन माने तो यह महान इमारत जयपुर के राजा के अधीन थी और जब शाहजहाँ ने इसे जबरन अपने अधीन किया तो इसमें कुछ बदलाव कर इसे एक मकबरे की शक्ल दे दी गयी और आजाद भारत के इतिहासकारों ने बिना कुछ सोचे समझे इसे ज्यो का त्यों इतिहास में शामिल कर लिया | इसके अलावा कुछ और इतिहासकारों ने कुछ और भी साक्ष्य पेश किये है की तब के किसी भी लेख में ताजमहल के बनने का उल्लेख क्यों नहीं है और ताजमहल की कार्बन डेटिंग भी कुछ और ही कहानी बयाँ करती है है | बहरहाल जब तक सरकार खुद आगे आ कर इस रहस्य पर से पर्दा नहीं हटाती तब तक यह एक रहस्य ही रहेगा |

कुलधारा भुतिया वीरान गाँव के रूप में कुख्यात है जो सन 1800 से ही वीरान पडा है | इसके पीछे एक श्राप बताया जाता है जो कभी भी ख़त्म नहीं होगा | कहा जाता है की यहाँ पर रहने वाले लोग एक ही रात में गायब हो गये थे जिसके बाद यह कभी नहीं बसा |
यह गाँव जो अब खंडहरों में तब्दील हो चूका है, 1291 में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था, जो बहुत ही समृद्ध जाती थी और अपने व्यापार और खेती के लिए प्रसिद्ध भी | कहा जाता है की 1825 की एक रात में कुलधारा के सभी लोग और 83 के करीब गाँव अचानक ही बिना किसी कारण अचानक ही गायब हो गये और तब से ही यह एक रहस्य बना हुआ है जिसे आज तक नहीं सुलझाया गया |
यह गाँव जो अब खंडहरों में तब्दील हो चूका है, 1291 में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था, जो बहुत ही समृद्ध जाती थी और अपने व्यापार और खेती के लिए प्रसिद्ध भी | कहा जाता है की 1825 की एक रात में कुलधारा के सभी लोग और 83 के करीब गाँव अचानक ही बिना किसी कारण अचानक ही गायब हो गये और तब से ही यह एक रहस्य बना हुआ है जिसे आज तक नहीं सुलझाया गया |

इस लिस्ट पुनः हिमालय क्षेत्र का एक और रहस्य है जो एक ऐसा रहस्य है जिसका हर कोई अनुभव कर सकता है और यह है हिमालय के लद्दाख में स्थित ‘चुम्बकीय पहाड़ी’ | कहते है की इस क्षेत्र का चुम्बकीय प्रभाव इतना ज्यादा है की अगर आप न्यूट्रल में गाडी कड़ी कर दे तो यह अपने आप तेजी से खिसकने लगती है और इसके बारे में स्थानीय लोग भी अनजान नहीं है वह भी इसके बारे में काफी कुछ बताते है और कई वैज्ञानिक दल भी यहाँ पर कई रिसर्च कर चुके है |

दिल्ली में कुतुबमीनार के पास ही सेकड़ो साल से “अशोक की लाट” शान से खड़ी है और आज तक इस पर जंग भी नहीं लगा | कई देशो के वैज्ञानिको ने इस पर अनेक बार अध्यन कर चुके है लेकिन आज तक कोई इसका रहस्य नहीं जान पाया और वह इस बात पर हैरान है की आखिर हजारो साल पहले क्या भारत में वास्तव में इतनी उन्नत तकनीक थी जो ऐसी धातु बना सकते थे और जिस तरह इस लाट को प्रदर्शन हेतु स्थापित किया गया है उससे तो पता लगता है की वास्तव में प्राचीन भारतीय आधुनिक विज्ञान से भी कही ज्यादा आगे थे और इस लाट के कारण ‘9 लोगो की संस्था’ सिद्धांत को भी बल मिला | अगर आप इस देश के कुंठित बुद्धिजीवियों से इसके बारे में पूछोगे तो वो बगले झाकने लगेंगे |

भारत का प्राचीन विज्ञानं | Ancient Indian Science in Hindi : अक्सर हम सभी लोग पश्चिमी लोगों को ही वैज्ञान का श्रेय देते हैं। हम यह मानते हैं कि सबसे पहले जितने भी सिद्धांत आज विज्ञान में हैं वे सभी अंग्रेजों की देन है। पर, वास्तव में ऐसा नही हैं हमारे ऋषि-मुनियों ने बहुत ही पहले अध्ययन करके यह सभी सिद्धांत सफलतापुर्वक खोज लिये थे। आज हम आपको गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे न्युटन से पहले भास्कराचार्य जी ने खोज लिया था, औऱ दुनिया के समाने रखा।
खगोल विज्ञान को वेद का नेत्र कहा गया, क्योंकि सम्पूर्ण सृष्टियों में होने वाले व्यवहार का निर्धारण काल से होता है और काल का ज्ञान ग्रहीय गति से होता है। अत: प्राचीन काल से खगोल विज्ञान वेदांग का हिस्सा रहा है। ऋग्वेद, शतपथ ब्राहृण आदि ग्रथों में नक्षत्र, चान्द्रमास, सौरमास, मल मास, ऋतु परिवर्तन, उत्तरायन, दक्षिणायन, आकाशचक्र, सूर्य की महिमा, कल्प का माप आदि के संदर्भ में अनेक उद्धरण मिलते हैं। इस हेतु ऋषि प्रत्यक्ष अवलोकन करते थे। कहते हैं, ऋषि दीर्घतमस् सूर्य का अध्ययन करने में ही अंधे हुए, ऋषि गृत्स्मद ने चन्द्रमा के गर्भ पर होने वाले परिणामों के बारे में बताया। यजुर्वेद के 18वें अध्याय के चालीसवें मंत्र में यह बताया गया है कि सूर्य किरणों के कारण चन्द्रमा प्रकाशमान है।
यंत्रों का उपयोग कर खगोल का निरीक्षण करने की पद्धति रही है। आर्यभट्ट के समय आज से 1500 से अधिक वर्ष पूर्व पाटलीपुत्र में वेधशाला (Observatory) थी, जिसका प्रयोग कर आर्यभट्ट ने कई निष्कर्ष निकाले।
भास्कराचार्य सिद्धान्त शिरोमणि ग्रंथ के यंत्राध्याय प्रकरण में कहते हैं, “काल” के सूक्ष्म खण्डों का ज्ञान यंत्रों के बिना संभव नहीं है। इसलिए अब मैं यंत्रों के बारे में कहता हूं। वे नाड़ीवलय यंत्र, यष्टि यंत्र, घटी यंत्र, चक्र यंत्र, शंकु यंत्र, चाप, तुर्य, फलक आदि का वर्णन करते हैं।

“पिताजी, यह पृथ्वी, जिस पर हम निवास करते हैं, किस पर टिकी हुई है?” लीलावती ने शताब्दियों पूर्व यह प्रश्न अपने पिता भास्कराचार्य से पूछा था। इसके उत्तर में भास्कराचार्य ने कहा, “बाले लीलावती, कुछ लोग जो यह कहते हैं कि यह पृथ्वी शेषनाग, कछुआ या हाथी या अन्य किसी वस्तु पर आधारित है तो वे गलत कहते हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि यह किसी वस्तु पर टिकी हुई है तो भी प्रश्न बना रहता है कि वह वस्तु किस पर टिकी हुई है और इस प्रकार कारण का कारण और फिर उसका कारण… यह क्रम चलता रहा, तो न्याय शास्त्र में इसे अनवस्था दोष कहते हैं।
लीलावती ने कहा फिर भी यह प्रश्न बना रहता है पिताजी कि पृथ्वी किस चीज पर टिकी है?
तब भास्कराचार्य ने कहा,क्यों हम यह नहीं मान सकते कि पृथ्वी किसी भी वस्तु पर आधारित नहीं है।….. यदि हम यह कहें कि पृथ्वी अपने ही बल से टिकी है और इसे धारणात्मिका शक्ति कह दें तो क्या दोष है?
इस पर लीलावती ने पूछा यह कैसे संभव है।
तब भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है।
मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो
विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।
सिद्धांत शिरोमणी गोलाध्याय-भुवनकोश (5)
आगे कहते हैं-
आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं
गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति
समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।
सिद्धांत शिरोमणी गोलाध्याय-भुवनकोश- (6)
विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।
सिद्धांत शिरोमणी गोलाध्याय-भुवनकोश (5)
आगे कहते हैं-
आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं
गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति
समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।
सिद्धांत शिरोमणी गोलाध्याय-भुवनकोश- (6)
अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियां संतुलन बनाए रखती हैं।
आजकल हम कहते हैं कि न्यूटन ने ही सर्वप्रथम गुरुत्वाकर्षण की खोज की, परन्तु उसके 550 वर्ष पूर्व भास्कराचार्य ने यह बता दिया था।

भारत की सुंदरता पूरे विश्व में विख्यात है. दुनिया भर से लोग भारत यहां की संस्कृति और यहां के इतिहास को जानने आते हैं. लेकिन हमारे देश में इतनी जगहें घूमने की हैं कि हम भारतीयों ने भी इसका कुछ हिस्सा ही देखा होगा.
लेकिन कुछ ऐसी जगहों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जहां एक बार तो हर किसी को जाना चाहिए.
1. सवाई माधोपुर

किला, मंदिर, गार्डन और जंगल… ये सब आपको इस जगह मिल जाएंगे. रणथम्बोर का ये शहर निहायती खूबसूरत है. इस जगह का नाम जयपुर के राजा सवाई माधो सिंह के नाम पर पड़ा था.
2. खजुराहो

6 वर्ग किलोमीटर में फ़ैली इस जगह में 20 अलग-अलग मंदिर हैं. यहां आपको भारतीय संस्कृति की झलक यहां बनी आकृति के रूप में देखने को मिल जाएगी.
Most Beautiful Places of India for Travel, Hindi

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7. दार्जलिंग
भारत के पूर्वी हिस्से में बसा ये शहर चाय के बगानों के लिए जाना जाता है. लेकिन अभी भी यहां पर्यटकों की नज़र कम ही पड़ी है. आप एक चक्कर लगा कर आईए आपको भारत की खूबसूरती का पता चलेगा.

8. हम्पी
भारत का दक्षिण हिस्सा वैसे तो की मायनों में सुंदर है और हम्पी इस में चार चांद लगाता है. हम्पी कर्नाटक राज्य में हैं और इस जगह की शिल्पकारी नायाब है.
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19. दियु
ये जगह आपको गोवा का मज़ा और पोंडिचेरी की खूबसूरती दोनों का मज़ा देगा. यहां का प्लैन करें और खो जाएं इसकी खूबसूरती में.

20. मैसूर
यहां आपको राजाओं के ठाठ, महलों की विशालता और फूलों की महक तीनों मिलेंगी. एक बार तो यहां जाना बनता है बॉस.

Use Whatsapp On Your Laptop or Computer, Hindi 700 मिलियन डेली एक्टिव यूजर्स के साथ अब वॉट्सऐप ने अपना लंबे समय से चर्चा में रहा फीचर आखिरकार लॉन्च कर ही दिया है। अब वॉट्सऐप का डेस्कटॉप वर्जन आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया गया है। अब यूजर्स अपने मोबाइल वर्जन के वॉट्सऐप को पीसी या…
सबसे पहले अपडेट करें वॉट्सऐप का वर्जन :
वॉट्सऐप की इस नई सर्विस को वॉट्सऐप वेब नाम से लॉन्च किया गया है। अपनी एक ब्लॉग पोस्ट के जरिए कंपनी के इस अपडेट के बारे में जानकारी दी है। नई सर्विस वॉट्सऐप मिरर भी कही जा रही है।
क्या है नया वर्जन :
वॉट्सऐप का नया वर्जन दरअसल अपने आप में मोबाइल वर्जन का एक्सटेंशन है। इसके लिए आपको कोई सॉफ्टवेयर पीसी में डाउनलोड नहीं करना होगा। एक खास टेक्नोलॉजी की मदद से फोन के वॉट्सऐप वर्जन की एक कॉपी कम्प्यूटर में काम करने लगेगी। इससे सभी मैसेज फोन में तो लाइव रहेंगे ही इसी के साथ, कम्प्यूटर या लैपटॉप में भी दिखेंगे।
सबसे पहले अपडेट करें वॉट्सऐप का वर्जन :
वॉट्सऐप की वेबसर्विस का इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को सबसे पहले इसका अपडेटेड वर्जन फोन में इंस्टॉल करना होगा। वॉट्सऐप का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स (एंड्रॉइड, ब्लैकबेरी और विंडोज) को अपना ऐप अपडेट करना होगा जिसके लिए वो आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। फिलहाल iOS यूजर्स के लिए ये सुविधा नहीं आई है। एप्पल यूजर्स सिस्टम पर वॉट्सऐप को इंस्टॉल कर पाएंगे या नहीं और कब तक ये सुविधा iOS यूजर्स को मिलेगी इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं आई है।
जाएं वॉट्सऐप वेबसाइट पर :
एक बार वॉट्सऐप का फोन वर्जन अपडेट हो जाने के बाद यूजर्स को वॉट्सऐप वेब क्लाइंट की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
वेबसाइट का लिंक : https://web.whatsapp.com
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सिर्फ क्रोम ब्राउजर पर होगा इस्तेमाल :
इस पूरी प्रक्रिया के लिए यूजर्स को गूगल क्रोम ब्राउजर का इस्तेमाल करना होगा। बाकी कोई भी ब्राउजर वॉट्सऐप वेबक्लाइंट को सपोर्ट नहीं करेगा।
सेटिंग्स से सिलेक्ट करें WhatsApp Web :
QR कोड को स्कैन करने के बाद सेटिंग्स पर जाना होगा।
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एंड्रॉइड के लिए :वॉट्सऐप> मेनु> Whastapp web
ब्लैकबेरी के लिए :
वॉट्सऐप> चैट्स> मेनु key> Whastapp web
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वॉट्सऐप> मेनु> Whastapp web
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इसके बाद इस वेबसाइट से QR कोड को डेस्कटॉप से स्कैन करना होगा। इसके लिए अपने फोन को कोड के सामने ले जाएं और वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हुए QR कोड को कैमरा की मदद से स्कैन कर लें।
फोन के कैमरा से जैसे ही वॉट्सऐप का कोड स्कैन होगा तो ब्राउजर और वॉट्सऐप का डाटा लिंक हो जाएगा।
प्राइवेसी को हो सकता है खतरा :
वॉट्सऐप के इस वेब क्लाइंट से यूजर्स की प्राइवेसी को भी खतरा हो सकता है। मान लीजिए कोई अपना फोन किसी परिचित के पास छोड़कर दो मिनट के लिए बाहर गया है। ऐसे में अगर परिचित इंसान ने QR कोड स्कैन कर वॉट्सऐप वेब क्लाइंट एक्टिवेट कर दिया तो संबंधित इंसान के वॉट्सऐप की पूरी डिटेल्स और मैसेज परिचित इंसान के डेस्कटॉप पर आ जाएगा। इससे सिक्युरिटी में कितना फर्क पड़ेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। फोन के स्टेटस से ये भी पता लगाया जा सकता है कि सामने वाला इंसान कहां है। इसके लिए गूगल मैप्स की मदद ली जा सकती है।
एक बात जो वॉट्सऐप वेब वर्जन में अच्छी है वो ये कि दो कम्प्यूटर पर एक साथ लॉगइन नहीं हो सकता है। ऐसा हो तो सकता है, लेकिन अगर एक मिनट के लिए भी वॉट्सऐप की एक्सेस किसी गलत इंसान तक पहुंच गई तो यूजर्स को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
very good
ReplyDeleteFantastic Blog! Thank you for sharing with us.
ReplyDelete#Hello #Guest, Are You Ready for an Exciting India Tour Package. There will be guided excursion trips of each of these cities showcasing varied colours of Indian culture. In Delhi we will take you to places like #Qutub_Minar, #Lotus_Temple, #India Gate, #Birla_Temple Laxmi Narayan Temple etc. Next destination Jaipur again offers you a visual treat with its grand palaces (#Hawa_Mahal, #City_Palace) and forts. Also one will not feel tired praising the monumental beauty of Agra city where we see the crowning glory of India - Taj Mahal, Agra Fort and many more.
One Day Agra Tour by Train
Same Day Tour Package by Car
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Golden Triangle Tour 6 Days
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Same Day Jaipur Tour
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